पाईथोगोरस की प्रमेय (Pythagoras Theorem)
के लिए जाना जाता है, जिसका नाम उनके नाम पर दिया गया है। पाइथोगोरस को “संख्या के जनक” के रूप में जाना जाता है, छठी शताब्दी ईसा पूर्व में धार्मिक शिक्षण(religious teaching) और दर्शनमें उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। पूर्व सुकराती काल के अन्य लोगों की तुलना में उनके कार्य ने कथा कहानियों को अधिक प्रभावित किया, उनके जीवन और शिक्षाओं के बारे में अधिक विश्वास के साथ कहा जा सकता है।
हम जानते हैं कि पाइथोगोरस और उनके शिष्य ( disciple) द्ते थे कि सब कुछ गणित ( math) सम्बंधित है और संख्याओं में ही अंततः वास्तविकता है और गणित के माध्यम से हर चीज के बारे में भविष्यवाणी (prophesy) प्कीप् जा सकती है तथा हर चीज को एक ताल बद्ध प्रतिरूप या चक्र के रूप में मापा जा सकता है।
लम्बलीकस के अनुसार, पाइथोगोरस ने कहा कि “संख्या ही विचारों और रूपों का शासक है और देवताओं और राक्षसों का कारण है।”
पाइथोगोरस का दृष्टिकोण धार्मिक और वैज्ञानिक( religious and botanical) था, उनकी नजर में विज्ञान और धर्म (science and religion) एक दुसरे से सम्बंधित हैं। धार्मिक रूप से पाइथोगोरस
मेटेम्पसाइकोसिस (metempsychosis) के अनुयायी थे। वे स्थानांतर आगमन या आत्मा के पुनर् जन्म में विश्वास करते थे, उनका मानना था कि आत्मा जब तक सदाचारी नहीं हो जाती तब तक वह मानव, पशु, या सब्जियों में बार बार अवतार लेती रहती है।
शु, या सब्जियों में बार बार अवतार लेती
उनका पुनर्जन्म ( rebirth)का विचार प्राचीन यूनानी धर्म से प्रभावित था। वह पहले व्यक्ति थे जिसने यह प्रस्तावित किया की विचार प्रक्रिया और आत्मा मष्तिष्क में स्थित है दिल में नहीं। उन्हें खुद विस्तार से चार जीवन याद थे जैसा कि वे दावा करते थे कि उन्होंने जिए हैं और वे अपने मृत मित्र के रोने की आवाज को एक कुत्ते के भौंकने के रूप में सुनते थे।
पायथाोरस का प्रमेय:
पाइथागोरस प्रमेय: कथन और सूत्र
(Pythagoras Theorem: Statements and Sutras)
समकोण त्रिभुज (right angled triangle)में, समकोण के सामने की भुजा को कर्ण कहा जाता है और अन्य दो भुजाओं को समकोण त्रिभुज के आधार के रूप में जाना जाता है। कर्ण सबसे लंबी भुजा होती है; और अन्य 2 भुजाओं को लंब और आधार नाम दिया गया है!
पाइथागोरस प्रमेय का कथन: पाइथागोरस प्रमेय में कहा गया है कि “एक समकोण त्रिभुज में,( right angled triangle) कर्ण का वर्ग, अन्य दो भुजाओं () के वर्गों के योग के बराबर होता है”
पायथागोरस का सिद्धांत (Pythagoras’ theory) :
पाइथागोरस द्वारा प्रतिपादित कई सिद्धांतों में अनेक्जिमेंदर के सिद्धांतों से बहुत कुछ मिलता-जुलता पाया गया. ऐसा माना जाता है कि दोनों द्वारा प्रतिपादित अंतरिक्षीय और ज्यामितिय सिद्धांत (Astronomical and Geometrical Theories) प्राकृतिक तौर पर उनके गुरुओं द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों का ही विकसित रूप है.